श्री राम अदालत में

श्री रामअदालत म

जो बहा था खून, उसके दूर तक छीटें गए
कल अदालत में पुनः, श्री राम घसीटे गए

जज ने बोला हे प्रभु, हमको क्षमा है चाहिए
आप नाम जद हुए हो, कटघरे में आईये

अल्लाह नदारद है, 
थे जबकि उनको भी summon गए
ऐसा सुन के कटघरे में, राम जी फिर तन गए

राम बोले मैं हिन्दू मुस्लिम, दोनों के ही साथ हूँ
मै ही अल्लाह, मै ही नानक, मै ही अयोध्यानाथ हूँ

त्रेतायुग में जिस लिए, मैंने लिया अवतार था
आज देखता हूँ तो लगता, है की सब बेकार था

केवट और शबरी के बहाने, भेद-भाव को तोड़ा था
तुमको समझाने को मैंने, सीता तक को छोड़ा था

मेरे मंदिर के लिए जब, तुम थे रथ पे चढ़ रहे
देश के एक कोने में थे, कश्मीरी पंडित मर रहे

फिर मेरी ही सौगंध खा के, काम ऐसा कर गए
मेरे लिए दंगे हुए, मेरे ही बच्चे मर गए

खैर…
अब भी है समय, तुम भूल अपनी पाट दो
जन्मभूमि पे घर बनाओ, बेघरों में बांट दो

ऐसा करना हूँ मै कहता, परम-पुन्य का कार्य है
न्याय, अहिंसा, परमार्थ, प्रेम यही तो राम-राज है

तब बीच में बोला किसी ने, जब वो था उकता गया
रामचंद्र का भेस बना के, ये कौन मुसलमां आ गया

ऐसा कहना था के भैय्या, ऐसा हल्ला मच गया
जो ऐन टाइम पे कट लिया बस वो ही था जो बच गया

फिर राम-भक्तों के ही हांथों, राम जी पीटे गए
जो बहा था खून, उसके दूर तक छीटें गए
जो बहा था खून, उसके दूर तक छीटें गए

                           –    गौरव त्रिपाठी

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